एक कहानी हर रोज़ मेरे साथ में चलती है
एक मेरी और एक मेरे हाथ में चलती है
मैं अपनी कहानी का किरदार बदलता हूँ
मैं ख़ुद को थोड़ा सा हर बार बदलता हूँ
कई बार मैं उस कहानी का किरदार हो जाता हूँ
ये रब तो बस कलाकार एक आम हुआ होगा
तेरे बनते ही उसका भी फिर नाम हुआ होगा
जैसे बन गई हो उसके मेहबूब की ही तस्वीर
तेरे इश्क़ में ही वो 'फ़रीद ग़ुलाम' हुआ होगा
उसने तुझे फिर "कुदरत" इक नाम दिया होगा
उसका फिर वो सबसे हसीं कलाम हुआ होगा
ਜਦੋ ਮੈਂ ਲਫ਼ਜ਼ਾਂ ਦੀ ਬੁੱਕਲ ਚ ਹੁੰਦਾ ਹਾਂ,
ਮੈਂ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਵੀ ਮਾਯੂਸ ਨਹੀਂ ਲਿਖ ਸਕਦਾ
ਇਹਨਾਂ ਬੱਦਲਾਂ ਚ ਆਈ ਇੱਕ ਚਮਕ ਜੇਹੀ
ਗੁਮ ਹੋ ਗਈ ਉਹ ਰਾਤ ਵਾਲੀ ਛਣਕ ਜੇਹੀ
ਮੈਂ ਤੇ ਮੇਰਾ ਚੰਨ ਜਦ ਰਾਤੀਂ ਮਿਲਣ ਲੱਗੇ
ਭੈੜੇ ਸੂਰਜ ਨੂੰ ਲਗ ਗਈ ਭਣਕ ਜੇਹੀ
ਇਸ਼ਕ ਨੂੰ ਇਸ਼ਕ ਸਿਖਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਖੜੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਫੜ ਵਹਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਉਹ ਖੜ੍ਹਾ ਹੈ ਓਸੇ ਮੋੜ ਤੇ
ਜਿਥੋਂ ਪਿੰਡ ਦੀ ਹੱਦ ਮੁੱਕਦੀ ਹੈ
ਉਹ ਉਸ ਘਰ ਵੱਲ ਨੂੰ ਤੁਰਿਆ ਸੀ
ਜੋ ਹੜ ਵਿੱਚ ਮਲਬਾ ਹੋ ਗਿਆ ਏ
ਪੱਗ, ਚੁੰਨੀ, ਡੋਲੂ , ਤਸਵੀਰਾਂ ਤੇ ਕਾਪੀ
ਓਹਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਚੁਗਦਾ ਜਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਕੋਈ ਲਫ਼ਜ਼ ਵੀ ਨਹੀ ਤੇ ਹੰਜੂ ਵੀ ਨਹੀਂ
ਬਸ ਚੁੱਪਚਾਪ ਸ਼ਿਤਿਜ ਨੂੰ ਦੇਖ ਰਿਹਾ
ਕੁਝ ਹੰਜੂ ਡੋਲ ਰੂਹ ਨੂੰ ਹੌਲਾ ਕਰੇ, ਓਹਨੂੰ
ਓਹਦੇ
ਉਹ ਰੱਬ ਨਹੀਂ ਇੱਕ ਰੂਹ ਹੀ ਹੈ
ਮੇਰੇ ਵਾਂਗਰ ਹੀ ਰਾਹੋਂ ਭਟਕ ਜਾਂਦੈ
ਉਹ ਇੱਕਲਾ ਨਾ ਪੈ ਜਾਵੇ ਇਸ ਲਈ
ਓਹਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਭਟਕ ਜਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਇਸ਼ਕ ਨੂੰ ਇਸ਼ਕ ਸਿਖਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਓਹਦੇ ਕਦਮਾਂ ਤੇ ਤੁਰ ਜਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਮੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੈ ਰੂਹੋਂ ਪਾਕ ਸੱਜਣ
ਬਸ ਕਦੇ ਕਦੇ ਭੁੱਲਾਂ ਕਰ ਬੈਠੇ
ਗੱਲ ਦਿੱਲ ਦੀ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਕਰਨੋਂ ਡਰੇ
ਓਹਦਾ ਹੱਥ ਫੜ ਕੋਲ ਬਿਠਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਇਸ਼ਕ ਨੂੰ ਇਸ਼ਕ ਸਿਖਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਤੋਂ ਮਿੱਟੀ ਉਡਾਵਾਂ ਮੈਂ
ਇਹਨਾਂ ਪੱਥਰਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਰੂਹ ਵੱਸਦੀ
ਜਿਹਦੇ ਨਾਲ ਮੇਰਾ ਇੱਕ ਇਸ਼ਕ ਜਿਹਾ
ਇਸ ਰਾਤ ਨੂੰ ਅਸਾਂ ਸਾਡਾ ਯਾਰ ਮੰਨਿਆ
ਸਾਡੇ ਮਰਜ਼ਾ ਨੂੰ ਇਹਨੇ ਸ਼ਿੰਗਾਰ ਮੰਨਿਆ
ਇੱਕ ਰਾਤ ਹੀ ਹੈ
ਜਿਸ ਨਾਲ ਅਸੀਂ ਦਿੱਲ ਦੀ ਗੱਲ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ
ਸਾਨੂੰ ਪਤਾ ਹੈ ਇਹ ਸਾਡੇ ਮਰਜ਼ ਸੁਣ
ਆਪਣੇ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਲੁਕਾ ਲਵੇਗੀ
ਅਤੇ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਵਿਖਾਵੇਗੀ
ਇਹਦੀ ਬੁੱਕਲ ਚ ਠੰਡੀਆਂ ਹਵਾਵਾਂ ਨੇ
ਇਹਦੀ ਰੂਹ ਵਿੱਚ ਸੁੱਚੀਆਂ ਵਫ਼ਾਵਾਂ ਨੇ
पर वो कहानी मुझे थोड़ा हर बार बदलती है
चली कहानी
वही कहानी
यहीं कहानी
कहीं कहानी
मैंने उस कील पर कुछ यादें टांग रखी हैं
जब भी कभी उदास होता हूँ
या अकेला महसूस करता हूँ
तो उन यादों को पहन अपने ही अंदर थोड़ा टहल लेता हूँ
हर चीज़ को जोड़ना ज़रूरी नहीं होता
हर कहानी का पूरा होना ज़रूरी नहीं होता
अधूरापन पूरेपन से ज़्यादा खूबसूरत होता है
टूटी हुई चीज़ें ज़्यादा अनमोल होती हैं
जो टूट जाता है
वो और खूबसूरत हो जाता है
ना जाने क्यूँ इस दिल को
ज़रा खूबसूरत होने की तलब है
जो टूट जाता है
उसके दामन में चाहे रात होती है
मगर वो जेब में सूरज को लेकर घूमता है
आंखों में सितारों को बिठाकर देखता है
होंठो पे फूल सजाकर बोलता है
चाँद रोज़ उसका इंतेज़ार करता है
इतना खूबसूरत होने पर सवाल करता है
और वो बस एक ही जवाब देता है
कभी चाँदगिरी को छोड़, ज़रा टूट कर देखो
तारों की तरह बिखर कर देखो
सारा आसमान तुम्हारा होगा
सारी ज़मीं तुम्हारी होगी
ख़्याल, पन्ने, कलम और आशिक़ सब होंगे रातों में
बस इक कमी तुम्हारी होगी
जो टूट जाता है
उसके अंदर चाहे रात होती है
मगर चेहरे पर सूरज को बिठाकर घूमता है
आंखों में सितारों को सजाकर देखता है
मगर जेब में सूरज लेकर घूमता है
उसके अंदर चाहे अंधेरा होता है
मगर चेहरे पर रोशनी लेकर घूमता है
दर्द खूबसूरत होता है
इश्क़ से भी खूबसूरत
अंदर अंधेरा हो चेहरे पर रोशनी हो
मुझे इश्क़ तो हो
ज़िंदगी दर्द को जन्म देती है
दर्द ज़िंदगी को जन्म देता है
इश्क़ ही इश्क़ का इलाज है
मगर ये मर्ज़ बेइलाज है
लोग कहते हैं इश्क़
आज मैं कुछ नहीं लिखूंगा
बस दूर से ख़ुद को लिखते हुए देखूंगा
आज मैं खुद को नहीं रोकूंगा
बस पास बैठ खुद के आँसू पोछूँगा
आज मैं चाय नहीं पीऊंगा
बस कप से उठते धूँए को देख उसे सोचूंगा
आज मैं गिलास में नहीं डालूंगा
बस खुली बोतल की ओर अपनी तलब को महसूस करूँगा
आज मैं उससे बात नहीं करूंगा
बस कब्र पर फूल रख ही वापिस चला आऊंगा
बस एक उसी पे तो पूरी तरह अयाँ हूँ मैं
वो कह रहा है मुझे रायगाँ तो हाँ हूँ मैं
अयाँ- dependent
रायगाँ - बेकार
जिसे दिखाऊ दूं वो मेरी तरफ इशारा करे
मुझे दिखाई नहीं दे रहा कहाँ हूँ मैं
इधर उधर से नमीं का रसाव रहता है
सड़क से नीचे बनाया गया मकाँ हूँ मैं
किसी ने पूछा कि तुम कौन हो तो भूल गया
अभी किसी ने बताया तो था फलां हूँ मैं
खुद को तुझसे मिटाऊंगा एहतियाद के साथ
तू बस निशान लगा दे जहाँ जहाँ हूँ मैं
Well you only need the light when it's burning low
Only miss the sun when it starts to snow
Only know you love her when you let her go
Only know you've been high when you're feeling low
Only hate the road when you're missing home
Only know you love her when you let her go
And you let her go बनने की कोशिश न किया करो
सब जान कर भी अनजान बनना बेकार है
बेपरवाह लोगों का ही क्यूँ होता इंतेज़ार है
बीती रात के चाँद तारों में फिर क्यूँ डूबे तू
जब तेरे अंदर बहता जुगनुओं का आबशार है
आबशार(झरना)
अगर रोना है तो किसी की बाहों में रो
यहाँ इन तस्वीरों में रोने से क्या होगा
या वो तेरे आँसू अपने सीने में छुपा लेगा
वरना वही होगा जो मंज़ूर-ए-जहाँ होगा
And world don't give a damn
Bcz they r resisting their own tears in the eyes
And if they will be consoling u then they will fall apart and the tears will irritate the wounds
ख़ुद को तराशने की जुस्तजू में लग जा
खुद के आफिस में नौकरी पे लग जा
इस जिस्म-ए-इमारत को ताजमहल बना दे
अंधेरे को चीरने में खामोशी से लग जा
गिले शिकवे करने से भी क्या होगा
लोग वैसे ही बहुत कम मिलते हैं
मुस्कुरा कर कुछ फूल उगाओ यारो
कहीं कहीं ही दिलों में फूल खिलते हैं
रेशम की खालों में तन को सुकूँ है
काँच के प्यालों में मन को सुकूँ है
फिर क्या हर पल ही ढूंढता फिरे तू
तन मन सुकूँ में हैं तो क्या जुस्तजू है
हम चाँद को पाना चाहते हैं
भीड़ में ग़ुम हो जाना चाहते हैं
उस आम से ख़्वाब की पीछे
इक तारा हो जाना चाहते हैं
हथेली से बहता हो चाहे जुगनुओं का आबशार
फिर भी चांदनी के साये के पीछे बह जाना चाहते हैं
चाहत हो चाहे कायनात के हर कोने को ढूंढने की
बस इक चाँद के लिए सब कुछ भूल जाना चाहते हैं
चाहत हो चाहे सूरज की तरह चमकने की, क्यों
इक चाँद के लिए, बस इक तारा हो जाना चाहते हैं
क्या नफ़ा इस हवा के सुहानेपन का
जो किसी के अज़ाब महसूस नहीं कर सकती
क्या नफ़ा इस चाँद के सफ़ेद रंग का
जो रात के कालेपन को रोशन नहीं कर सकता
क्या नफ़ा इस जिस्म में रूह होने का
जो किसी के ज़ख्मों का मरहम नहीं हो सकता
क्या नफ़ा उस इश्क़ का
जिसमे शराब सा नशा न हो
क्या नफ़ा इन हाथों का
जो इनमें राहत नहीं
क्या नफ़ा इन आँखों का
जो इनमें चाहत नहीं
क्या नफ़ा इस रूह का
जो इसमें मरहम नहीं
क्या नफ़ा इन होंठो का
जो इनमें नरमी नहीं
कुछ एहसासों के आगे तो गीत भी चुपचाप थे
उसने इक आह क्या ली मेरी आँखें भर आई
घूमता रहा इधर उधर मैं शराब पकड़ सुकूँ के लिए
उसने बालों में हाथ क्या फेरा झट से नीँद आ गयी
ਸਾਡਾ ਕਿਹੜਾ ਕੋਈ ਟਿਕਾਣਾ ਸੱਜਣਾ
ਕਲ ਵੀ, ਅੱਜ ਵੀ, ਓਥੇ ਹੀ ਵੱਜਣਾ
ਡਫਲੀ ਹਾਂ, ਕਿਸੇ ਵਣਜਾਰੇ ਦੀ ਮੈਂ
ਬਸ ਓਹਦੇ ਹੱਥਾਂ ਦੀ ਸੱਟ ਨਾ ਰੱਜਣਾ
मुझे इश्क़ बदलना है
मुझे इश्क़ में ढलना है
चाहे अंदर तक जलना है
फिर भी कुछ दूर चलना है
मुझे इश्क़ सँवारना है
रूहों में उतारना है
जो ढूंढता फिरे उसे कुछ भी ना मिले
जो खुद को मिल जाए उसका जहान है
जो ढूँढता फिरा यहाँ वहाँ, उसे कुछ भी ना मिला
जो चुप चाप लिखता रहा, उसे पूरे जहाँ ने ढूँढ लिया
आज चुप चाप बैठूँगा, ज़रा ग़ौर से सोचूंगा
किधर जा रहे हैं तेरे पाँव, आज दिल से पूछुंगा
क्या ख़ूब सोचा तूने, उस राह की ओर जाएं
जहाँ ख़्वाब हैं बस अपने, और लोग हैं पराए
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