Wednesday, 11 December 2019

एक ऐसी शख़्सियत, एक ऐसी हस्ती बनना
कि जो भी कोई तुम्हारी दुनिया में पाँव रखे
वो अपनी और तुम्हारी दुनिया के बीच
एक दरवाज़ा बनाकर चला जाए

मैं जब भी सरताज या इरशाद को सुनता हूँ
मैं अपने उस किरदार में चला जाता हूँ
जो जगता है हर शाम
और सुबह सोने चला जाता है
वो सोते हुए भी खुद को ही देखता है
भागता हुआ हांफता हुआ
पसीने से लतपत काँपता हुआ
बंधिशो मजबूरियों ज़िम्मेदारियों को सोचता हुआ
बड़ी लगन से अपना काम करता है
ताकि उसको ये एहसास न हो
कि वो सिर्फ अपने लिए जी रहा है
उसने अपने कमरे में दो गुल्लकें रखी हैं
एक घर के लिए
और एक उन ख्वाबों के लिए
जिनको बचपन से सम्भाल कर रखा है
वो हर महीने दोनो में बराबर पैसे डालता है
पर एक गुल्लक को वो अलमारी में रखता है
और एक को अपने पास वाले टेबल पे......
इन दो जहानों के अलावा
उसकी एक और दुनिया है
वो दोनों एक ही अस्पताल में डॉक्टर हैं
दोनों ग्रेजुएशन के दिनों से ही साथ हैं
दोनों एक दूसरे के हालातों को खूब समझते हैं
और एक दूसरे के ख्वाबों को ज़िंदा रखने के लिए
एक दूसरे की हाथ थामें रहते हैं
न तो इनको शादी समझ में आती है
और न ही बच्चे
मगर फिर भी इन्होंने इन दो चीज़ों के बिना
इक खूबसूरत दुनिया बसा रखी है

No comments:

Post a Comment

मेरे इशारों में है ये दिल मेरा इरादा इतना है काबिल मेरा जो कलम से ज़हन रौशन करते हैं नाम उनमें है शामिल मेरा लहरें भी थककर मुड़ जाएं ...