Wednesday, 11 December 2019

ये दिमाग की आवाज़ को शांत कर
मन की आवाज़ को ऊंचा करती है
मन की आवाज़ ? ये मन की आवाज़ क्या है
ये वही आवाज़ है
जो पूछती है कि देश अलग क्यों हुआ ?
हीर रांझा की साथ ऐसा क्यों हुआ ?
जिस आवाज़ को देव दबा के बैठा है
जो तारा बेसब्री से सुनना चाहती है
जिस आवाज़ में इक शायर लिखता है
उसके लिए जिसे उसने खो दिया
उस वजह से जिस वजह से मुझे
तुम्हें बताना पड़ रहा है
कि मैं ऐसा क्यों करता हूँ
क्या तुम अब भी सुनना चाहते हो
अगर हाँ, तो तुम जा सकते हो
जहाँ तुम जाना चाहते हो
उन्हीं गलियों में जिनमें लोग रहते हैं
कुछ ऐसे लोग जो ये समझते हैं
कि वह मेरे बारे में मुझसे ज़्यादा जानते हैं
मेरे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा
जैसे वो ही तय करना ठीक समझते हैं
चाहे वो मुझसे कभी मिले भी न हो
तुम भी उन जैसे ही हो
मुझसे ज़्यादा समझदार
जैसे तुमने ज़िन्दगी को मुझसे ज़्यादा देखा है, समझा है
क्या तुमने किसी के साथ
सिगरेट का एक कश भी लिया है
अगर नहीं तो तुम्हारा कोई हक नहीं है
मुझको हिदायत देने का
अगर कोई ऐसा बंदा जिसने
सिगरेट से प्यार करके उसको छोड़ दिया
अगर वो मुझे कहे कि तुम ये सब छोड़ दो
मैं उसकी बात मान लूंगा मगर...
चलो छोड़ो अब मैं चलता हूँ शाम होने वाली है
जशन का समय हो गया है
तुम साथ आना चाहो आ सकते हो....

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