Wednesday, 11 December 2019

मुझ पर उम्र भर असर रहा
मेरे सपनों का
नशे का क्या है
उतर गया सुबह होते ही

इश्क़ आज भी है
उसकी और मेरी आँखों में
ज़रूरतों का क्या है
खत्म हो गई नज़रों के मिलते ही

ये जिस्म उड़ता है
समय के इशारों पे
मगर हम उड़ते है
अपने इरादों में.......
मैं उसके सपनों का साथी हूँ
और वो मेरे सपनों का साथी है
इतना ग़ुरूर नहीं होता
उम्र भर के वादों में......

सफर एक ही है
और राहें जुदा जुदा
हम तो पहुँच ही जाएंगे मंज़िल पे
चाहे न चाहे जहाँ
और एक कहानी लिखेंगे
हम वहाँ पहुंचते ही


खत्म हो गईं हम दोनों के मिलते ही/

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