Wednesday, 11 December 2019

उस ओर जा रहैं हैं सब
मगर किस ओर
सबको जल्दी है पहुंचने की
मगर है क्या उस ओर
कुछ नीचे हॉर्न बजाकर शोर करते हुए जाते हैं
और कुछ आसमान में पंछियों के बीच उड़ते जाते हैं
कभी कभी मैं भी कुछ दूर उड़ कर चला जाता हूँ......
वैसे मुझे भी नही पता उस ओर है क्या
किसी को नही पता वहाँ है क्या
मगर सबकी निगाहें उसी दिशा में है
जैसे कोई और दिशा है ही नही......
कोई कार में जा रहा है तो कोई बस में
कोई मोटरसाइकिल पर तो की रेलगाड़ी में
मगर आँसू सब के पास हैं....
कोई कुचला जाता है
तो कोई उठ खड़ा होता है
कोई बस देखकर गुज़र जाता है
तो कोई छू सा जाता है
कोई अकेला जा रहा है तो कोई किसी के साथ.....
मुझे बस में जाना अच्छा लगता है
क्योंकि वो सब को साथ लेकर चलती है
वो तो हम मोह में आकर बस से उत्तर जाते हैं
किसी का साथ पाने के लिए
वरना ये भी उसी ओर ही जा रही है.....
बस का ड्राइवर हमें उतार वापिस वहीं चला जाता है
किसी और को लेने
जैसे उसे कहीं पहुंचना ही नही है.....
कोई मुम्बई से होकर जाता है
तो कोई लदाख से होकर
सभी कुछ चाहतों को पहन कर चले जा रहे हैं
क्योंकि ये बोर नहीं होने देतीं....
पैदल चलकर देखा है कभी
बड़ा मज़ा आता है
जब हम चीटियों को बचाते बचाते चलते हैं
तब कुछ भी याद नही रहता
कि किस ओर जा रहैं है.......





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