ये दिल बड़ा ही गुस्ताख़ है
सब जाने फिर न रुकता है
बस करता है अपनी हर पल
फिर कहे सीने में दुखता है
जब इक पल भी न सुकूँ मिले
तब मुझसे आके पूछे है...
गुस्ताखियां गुस्ताखियां
क्यों हुई हैं ये गुस्ताखियां
इसे हर दिन ही समझाऊं मैं
आँखों की बात न माना कर
जो न हो वो भी देखें ये
दिमाग की राय भी जाना कर
जब कांच सी हालत हो जाये
तब मुझसे आके पूछे है
गुस्ताखियां गुस्ताखियां
क्यों हुई हैं ये गुस्ताखियां
सब जाने फिर न रुकता है
बस करता है अपनी हर पल
फिर कहे सीने में दुखता है
जब इक पल भी न सुकूँ मिले
तब मुझसे आके पूछे है...
गुस्ताखियां गुस्ताखियां
क्यों हुई हैं ये गुस्ताखियां
इसे हर दिन ही समझाऊं मैं
आँखों की बात न माना कर
जो न हो वो भी देखें ये
दिमाग की राय भी जाना कर
जब कांच सी हालत हो जाये
तब मुझसे आके पूछे है
गुस्ताखियां गुस्ताखियां
क्यों हुई हैं ये गुस्ताखियां
No comments:
Post a Comment